महाराणा प्रताप के बारे में 40 रोचक तथ्य, 40 Interesting Facts About Maharana Pratap in Hindi, महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया
महाराणा प्रताप मेवाड़ में सिसोदिया राजपूत वंश के एक महान योद्धा और राजा थे। उन्होंने कई वर्षों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। महाराणा प्रताप अपनी वीरता बहादुरी और मार्शल आर्ट के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कई लड़ाईयों में मुगलों को भी पराजय किया था। झाला मानसिंह उनका सबसे विश्वस्त सिपाही थे जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना महाराणा की जान बचाई थी। महाराणा प्रताप की पसंदीदा घोड़े ‘चेतक’ को घायल देख शक्ति सिंह ने उन्हें युद्ध का मैदान छोड़ने के लिए कहा था।
मुगल बादशाह अकबर, महाराणा प्रताप और मेवाड़ को अपने अधीन करना चाहता था। इसके लिए उन्होंने 6 राजदूत नियुक्त किए थे। जलाल खान, मानसिंह, भगवानदास और राजा टोडरमल। लेकिन इन चारों को मनाने के बाद भी महाराणा प्रताप ने अकबर के अधीन रहना स्वीकार नहीं किया। तो चलिए जानते हैं उस वीर योद्धा महाराणा प्रताप के 40 रोचक तथ्यों के बारे में, जिन्हे जानकर आप गर्व महशुस करेंगे।
Interesting Facts About Maharana Pratap in Hindi

- महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को मेवाड़ ( राजस्थान भारत ) में हुआ था।
- महाराणा प्रताप का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था।
- महाराणा प्रताप के बचपन का नाम ‘कीका’ था। उनके पिता का नाम राणा उदय सिंह था।
- महाराणा प्रताप 7 फीट 5 इंच लंबे कद के वीर थे और उनका वजन 110 किलो का था। उनमें व सभी शारीरिक क्षमताएं थी जो एक महान और वीर सैनिक में होनी चाहिए।
- महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था,जो एक ही बार में दुश्मन को मार डालता था। उनके सीने के कवच का वजन 72 किलो का था। महाराणा प्रताप भाला, ढाल, 2 तलवारें और कवच लेकर युद्ध में जाते थे, जिनका कुल वजन 208 किलो का था। आज के पुरुषों के लिए इस तरह के भार से लदना संभव नहीं है।
- शायद यह तथ्य आपको बहुत ही रोचक और आश्चर्यजनक लग सकता है की महाराणा प्रताप ने राजनीतिक कारणों से 11 शादियां की।
- महाराणा प्रताप की तलवार, कवच और अन्य साजों सामान उदयपुर के राज्य संग्रहालय में आज भी सुरक्षित हैं।
- महान सम्राट अकबर भी महाराणा प्रताप की वीरता से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने महाराणा प्रताप को प्रस्ताव दिया था कि यदि वह उनके सामने झुके तो आधा भारत महाराणा प्रताप को दे देंगे। लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और महाराणा प्रताप ने कहा कि वह मरते दम तक मुगलों के सामने कभी शिर नहीं झुकाएंगे।
- महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी लोकप्रिय थी। चेतक के बारें में कई कहानियां सुनने को मिलती है। चेतक एक बहुत ही शक्तिशाली घोड़ा था। दौड़ते समय उसकी गति बहुत तेज हो जाती थी।
- एक बार युद्ध में चेतक ने अपना पैर एक हाथी के सिर पर रख दिया। घायल महाराणा प्रताप को लेकर वह 26 फीट लंबे नाले के ऊपर से कूद गया। चेतक ने हर युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ दिया।
- मायरा की गुफा में महाराणा प्रताप ने कई दिनों तक घास की रोटियां खाकर समय बिताया।
- हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और बादशाह अकबर के बीच भीषण युद्ध हुआ था। इस युद्ध को 300 साल हो चुके हैं, लेकिन आप भी वहां युद्ध के मैदान में तलवार है मिलती है।
- हल्दीघाटी की लड़ाई न तो अकबर और न ही महाराणा प्रताप ने जीती।
- सम्राट अकबर ने 30 साल तक महाराणा प्रताप को पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुए।
- 29 जनवरी 1597 को महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई है। शिकार के दौरान उनका दुर्घटना हो गया था।
- जब अकबर को महाराणा प्रताप की मृत्यु का पता चला तो वह भी रो पड़ा।
- हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना में हकीम खान सुरी एकमात्र मुस्लिम सरदार था।
- हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 ईस्वी में लड़ा गया था।
- इस युद्ध में सम्राट अकबर के पास 85,000 सैनिक थे जबकि महाराणा प्रताप के पास केवल 20,000 सैनिक थे। इसके बावजूद महाराणा प्रताप अकबर से लड़ते रहे और पीछे नहीं हटे।
- महाराणा प्रताप के 17 बेटे और पांच बेटियां थी।
Bharat Ka Veer Putra Maharana Pratap

- महाराणा प्रताप युद्ध में दो तलवारें रखते थे। यदि उसके शत्रु के पास तलवार न होती तो वह उसे अपनी एक तलवार दे देता ता कि युद्ध बराबर हो जाए। इससे पता चलता है कि महाराणा प्रताप एक न्यायप्रिय राजा थे।
- बादशाह अकबर ने एक बार कहा था कि अगर महाराणा प्रताप और जयमल उनके साथ मिल जाए तो अकबर दुनिया का सबसे शक्तिशाली राजा बन सकता है। अकबर अपने सपने में महाराणा प्रताप को देखा करता था।
- महाराणा प्रताप की तरह उनके सेनापति और उनके सैनिक भी बहुत बहादुर थे। उसका एक सेनापति युद्ध में सिर कट जाने के बाद भी लड़ता रहा।
- महाराणा प्रताप को भारत का पहला स्वतंत्र सेनानी भी कहा जाता है।
- सम्राट अकबर से मुकाबला करने के लिए महाराणा प्रताप ने अपना महल छोड़ दिया और दिन-रात युद्ध की तैयारी करने लगे। लोहार जाति के हजारों लोग भी उनके साथ शामिल हुए और दिन-रात तलवारें बनाने का काम किया।
- यह लोहार जाति आजकल हरियाणा राजस्थान में रहती है जिसे गाड़िया लोहार कहा जाता है।
- महाराणा प्रताप ने अपने राज्य में कला का बहुत अच्छा विकास किया। उन्होंने मुस्लिम कलाकारों को भी प्रोत्साहित किया। विशेष रूप से चित्रकार निसारदी या निसारुद्दीन आदि ऐसे चित्रकार थे जिन्होंने “रागमला” तैयार की। स्थापत्य कला में भी उन्होंने मुस्लिम कलाकारों को बहुत महत्व दिया। इससे स्पष्ट होता है कि महाराणा प्रताप सभी धर्म और सभी प्रकार की कलात्मक प्रतिभाओं का सम्मान करते थे और वे सहिष्णुता की नीति के समर्थक थे।
- मेवाड़ की भील जाति के लोग राज्य महाराणा प्रताप को अपना पुत्र मानते थे। महाराणा प्रताप ने भी उन का तहे दिल से स्वागत किया और उन्हें अपना माना।
- अगर देश की बाकी योद्धा हो और शासकों ने महाराणा प्रताप की इस नीति का पालन किया होता, तो शायद भारत का इतिहास कुछ और होता। उनकी नीति हमेशा कठोर जीवन जीने की थी। वे हमेशा सुख और वैभव से दूर रहे। एक सच्चे और साहसी योद्धा का असली घर महल में नहीं, बल्कि जंगल में होता है, और तभी वह विजेता बनता है।
Maharana Pratap Jayanti
हर साल ९ मई को महाराणा प्रताप जयंती है।
- इतिहासकारों की मानें तो महाराणा प्रताप ने अकबर से ऐसे समय में लोहा लिया जब मुगल साम्राज्य की सत्ता आसमान को छू रही थी। वह कभी भी मुगल दरबार में नहीं गया और ना ही ऐसा करने के बारे में सोचा। जहां शिवाजी जैसे कोई योद्धा मुगलों के खिलाफ लड़े, वही वे एक बार औरंगजेब के दरबार में आए थे। औरंगजेब के समय में मुगल साम्राज्य भी कमजोर पड़ने लगा था।
- अकबर ने अपने दो दूध महाराणा प्रताप के पास भेजें। एक बार सिंह और दूसरा टोडरमल। लेकिन महाराणा प्रताप न तो इन दोनों की बात पर पहुंचे और न ही अकबर की सैन्य धमकी से डरे। उसने किसी को नहीं धमकाया और अपनी प्रजा के हर वर्ग को अपने साथ लेगया और अकबर के सामने खड़ा रहा और अजय रहा।
- महाराणा प्रताप का आम सिपाही से लेकर चेतक तक सभी में एक जैसा स्नेहा था। युद्ध के मैदान में जब महाराणा प्रताप को शत्रु सैनिकों उन्हें घेर लिया तो चेतक ने जान से खेल कर उसे बचा लिया। जब महाराणा प्रताप हल्दीघाटी से सकुशल बाहर आया तो हकीम खान सूरी, नेत्सी, रामशाह, रामशाह के पुत्र शंकरदास, झाला मान आदि ने मुगल सेना के दांतो की बलि देते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हकीम खान ने इतना संघर्ष किया कि उसकी तलवार उसके हाथ में रह गई।
- महाराणा प्रताप शुरू से लेकर अंत तक अकबर की आंखों की धार बने रहे, लेकिन जब अकबर को उनकी मृत्यु की खबर मिली तो मुगल बादशाह की आंखों से आंसू छलक पड़े। अकबर ने अपनी जीभ अपने दांतो के नीचे दवाई और कहा : आपने अपने घोड़े को न तो दाग ने दिया और नहीं आपने अपनी पगड़ी को किसी के सामने झुकने दिया। दरअसल महाराणा प्रताप ने सबसे ज्यादा जीत हासिल की है।
- जब अब्राहम लिंकन भारत आए थे। फिर उनके माँ ने उनसे पूछा की तुम भारत से अपने लिए क्या लाए हो? तब माँ को उतर मिला – उस महान देश की वीर भूमि हल्दीघाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आया हूं, जहां राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफादार था कि उसने आधे भारत के बजाय अपनी मातृभूमि को चुना। ” लेकिन दुर्भाग्य से उनका दौरा रद्द कर दिया गया था। इसे आप “Book of President USA” पुस्तक में पढ़ सकते हैं।
- यहां महाराणा प्रताप जी के घोड़े चेतक का मंदिर भी है जो आज भी हल्दीघाटी में सुरक्षित है।
- महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी बहुत शक्तिशाली था, उसके चेहरे के सामने एक हाथी की सूंड का इस्तेमाल दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए किया जाता था। ये हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे।
- मरने से पहले महाराणा प्रताप जी ने अपने खोए हुए मेवाड़ के 85% हिस्से को फिर से जीत लिया था। सोना चांदी और महलों को छोड़कर वह 20 साल तक मेवाड़ के जंगलों में घूमता रहा।
- महाराणा प्रताप जी का वजन 110 किलो था और वह 7 फीट 5 इंच लंबे थे, उनके हाथ में दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला था।
- मेवाड़ के आदिवासी भील समुदाय ने हल्दीघाटी में अपने बाणों से अकबर की सेना को रौंद डाला था। वे महाराणा प्रताप जी को अपने पुत्र मानते थे और बिना किसी भेदभाव के उनके साथ रहते थे। मेवाड़ के प्रतीक चिन्ह के एक ओर आज भी राजपूत है तो दूसरी ओर भील।
- महाराणा प्रताप जी घोड़े सहित दुश्मन के सिपाही को एक झटके में काट देते थे।
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महान योद्धा महाराणा प्रताप के बारें में अक्सर पूछे जाने बाले सवाल
महाराणा प्रताप इतने प्रसिद्ध क्यों है
महाराणा प्रताप मुगल साम्राज्य के विस्तारवाद के खिलाफ सैन्य प्रतिरोध और हल्दी घाटी की लड़ाई और देवर की लड़ाई में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने मुगल बादशाह अकबर को तीन बार हराया था – 1577, 1578 और 1579 में।
महाराणा प्रताप जंगल में क्यों रहते थे?
हल्दीघाटी की लड़ाई हारने के बाद महाराणा प्रताप और उनके परिवार ने जंगल में शरण ली। इस लड़ाई को एक बहुत ही भयंकर युद्ध के रूप में याद किया जाता है जिसमें लगभग पूरा मेवाड़ मुगलों के हाथों में आ गया था। जंगल में संघर्ष के दौरान महाराणा प्रताप के पास खाने के लिए कुछ नहीं था और उन्हें घास की रोटियां भी खानी पड़ी।
महाराणा प्रताप की तलवार का वजन कितना था?
राजपूत राजा महाराणा प्रताप दो तलवारें रखते थे जिनका वजन लगभग 25 किलो का था। ऐसा माना जाता है कि अगर वह अपने शत्रु को निहत्थे देख ते तो लड़ाई से पहले अपने दुश्मन को एक तलवार भेंट करते थे।
मुगलों को किसने हराया?
औरंगजेब की मृत्यु के बाद मराठों ने दिल्ली और भोपाल में मुगलों का हराया और 1758 तक पेशावर तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक कितनी दूरी की छलांग लगाई?
महाराणा प्रताप सिंह के घोड़े चेतक ने हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप सिंह की जान बचाई। एक पैर में चोट लगने के बावजूद भी चेतक 5 किलोमीटर तक दौड़ता रहा और अंत में 26 फ़ीट की गहरी खाई के ऊपर से छलांग मार महाराणा प्रताप की जान बचाई और खुद चल बसे।
अंतिम शब्द:
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