गुरु घासीदास नेशनल पार्क के बारे में रोचक तथ्य | Guru Ghasidas National Park in Hindi
छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले और मध्य प्रदेश राज्य के सीधी, सिंगरौली जिला में स्थित Guru Ghasidas National Park in Hindi जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। इस नेशनल पार्क को संजय नेशनल पार्क भी कहा जाता है। 466.65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं, यह नेशनल पार्क नर्मदा घाटी के शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र का एक प्रमुख हिस्सा है साथ ही साथ संजय दुबरी टाइगर रिजर्व का भी एक हिस्सा है।
Guru Ghasidas National Park in Hindi

5 अक्टूबर 2021 को, भारत का 53 वा टाइगर रिजर्व गुरु घासीदास नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ में चौथा और भारत में 53 वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। छत्तीसगढ़ सरकार के प्रस्ताव को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने इसके महत्व को देखते हुए स्वीकार कर लिया, क्योंकि यह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और पलामू टाइगर रिजर्व के बीच चलने वाले बाघों के लिए एक गलियारे के रूप में कार्य करता है।
यह नेशनल पार्क और इसके जैव विविधता UPSC पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में बेहद ही महत्वपूर्ण है और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवार UPSC प्रारंभिक परीक्षा में उसी पर आधारित प्रश्नों की अपेक्षा कर सकते हैं।
गुरु घासीदास नेशनल पार्क का इतिहास ( History of Guru Ghasidas National Park )
संजय नेशनल पार्क की स्थापना 1983 में संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व के रूप में, बाघों के संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी। साल 2000 में छत्तीसगढ़ को एक अलग राज्य घोषित करने से पहले यह टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश में स्थित था। अलग राज्य घोषित होने के बाद पूरे टाइगर रिजर्व का एक बड़ा हिस्सा छत्तीसगढ़ सरकार के अधीन में आ गया, जिसे गुरु घासीदास के नाम पर नेशनल पार्क के इन हिस्सों का नाम बदल दिया गया। जून 2011 में, पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह नें इस नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व के रूप में मान्यता देने के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को प्रस्ताव दिया।
भारत का 53 वा टाइगर रिजर्व गुरु घासीदास नेशनल पार्क छत्तीसगढ़, 2010 से प्रदेश के साथ पांच बाघ कर चुके हैं। इसके अलावा, इस नेशनल पार्क में एशियाई चीता को आखरी बार देखा गया था, जो भारत में इसका अंतिम ज्ञात क्षेत्र भी है।
गुरु घासीदास नेशनल पार्क मध्य प्रदेश क्षेत्र ( Guru Ghasidas National Park Madhya Pradesh Area )
संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व का नाम इसलिए रखा गया था, क्योंकि टाइगर रिजर्व संजय नेशनल पार्क के साथ-साथ दुबरी वन्य जीव अभयारण्य दोनों का हिस्सा था। इसका पूरा भूभाग छत्तीसगढ़ के सीधी जिले में 831 वर्ग किलोमीटर फैली हुई है।
2004 में मध्य प्रदेश में की गई है, एक आधिकारिक जनगणना के परिणाम के अनुसार इस नेशनल पार्क में 6 बाघों को देखा गया था। दुर्भाग्य से, इन बाघों को अक्टूबर 2008 के बाद से नहीं देखा गया है।
UPSC exam में भारत का 53 वा टाइगर रिजर्व गुरु घासीदास नेशनल पार्क का इतिहास और संजय-दुबरी नेशनल पार्क के बारे में अक्सर पूछे जाते हैं।
गुरु घासीदास नेशनल पार्क में पाए जाने वाले वन्यजीव (Guru Ghasidas National Park Fauna )
गुरु घासीदास नेशनल पार्क में वनस्पति और वन्य जीवो की विभिन्न प्रजातियों की भरमार है, जो इसे छत्तीसगढ़ राज्य में एक प्रमुख आकर्षक स्थान बनाता है।
गुरु घासीदास नेशनल पार्क में पाए जाने वाले वनस्पति ( Guru Ghasidas National Park Flora )
गुरु घासीदास नेशनल पार्क ज्यादातर उपोष्णकटिबंधीय और और पर्णपाती जंगलों के मिश्रण से आच्छादित है। नेशनल पार्क में सखुआ या साल के पेड़ अधिक पाए जाते हैं। अन्य वनस्पतियों में सागौन, साजा, सलाई, महुआ, शीशम, कारी, गुरजन, आचार, तेंदु, और बांस हैं।
भारत का 53 वा टाइगर रिजर्व गुरु घासीदास नेशनल पार्क में पाए जाने वाले वन्यजीव ( Guru Ghasidas National Park Fauna )
नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व सभी प्रकार के वन्यजीवों से भरा हुआ है और एक विविध और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का घर है। इस नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, सियार, मृग, जंगली सूअर, बाइसन, लकड़बग्घा जैसे कई प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं।
गुरु घासीदास नेशनल पार्क में कई प्रकार के पक्षियों की प्रजातियों भी पाए जाते हैं। जैसे की बुलबुल, रूफस ट्रिपी, रैकेट-टेल्ड ड्रोगो और लाल सिर बाले गिद्ध। इसके अलावा इस नेशनल पार्क में कोबरा, मॉनिटर छिपकली और अजगर जैसे विभिन्न प्रकार के सरीसृप भी पाए जाते हैं।
भौगोलिक स्थानों पर आधारित वनस्पति और जीव CES पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हाल हि में, बहुत सी ऐसी प्रजातियां आई है जिन्होंने वन्यजीव संरक्षणवादियों का ध्यान खींचा और उसी पर आधारित प्रश्न आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जा सकते हैं।
IAS परीक्षा में गुरु घासीदास नेशनल पार्क को कवर करने वाले वन्यजीवों के संबंध में विभिन्न प्रश्न पूछे गए हैं, और यह अध्ययन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है।
छत्तीसगढ़ का चौथा और भारत का नवीनतम टाइगर रिजर्व को 5 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) नें छत्तीसगढ़ सरकार के दो वन क्षेत्र को आरक्षित वन घोषित करने के अनुरोध को मंजूरी दे दी।
गुरु घासीदास नेशनल पार्क, तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य : नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की 11वीं तकनीकी समिति ने 1 सितंबर को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तावित विचार पर विचार करने के लिए 1 महीने का समय दिया और अक्टूबर के पहले सप्ताह में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 38V(1) के तहत उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
जैसा कि कई वन्यजीव विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया है, इस निर्णय का महत्व बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बाघों को झारखंड और मध्य प्रदेश को जोड़कर बांधवगढ़ और पलामू टाइगर रिजर्व के बीच स्थानांतरित करने की सुविधा देता है।
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अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न:
टाइगर रिजर्व की आवश्यकता क्यों है?
बाघ एक शीर्ष शिकारी है, जो खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर है और जंगली Ungulate की आबादी को नियंत्रण में रखता है, जिससे शिकार शाकाहारी और जिस वनस्पति पर वे भोजन करते हैं, उनके बीच संतुलन बनाए रखते हैं। इसलिए, जंगल में बाघों की उपस्थिति पारिस्थितिकी तंत्र की भलाई का एक संकेतक है।
भारत का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व कौन सा है?
भारत का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व बोर टाइगर रिजर्व है, जो महाराष्ट्र राज्य के वर्धा जिले में वर्धा नदी की घाटी में स्थित है।
टाइगर रिजर्व को कैसे अधिसूचित किया जाता है?
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सलाह पर वन्य जीव ( संरक्षण ) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा टाइगर रिजर्व को अधिसूचित किया जाता है।
टाइगर रिजर्व को कौन घोषित कर सकता है?
टाइगर रिजर्व को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा वन्य जीवन संरक्षण संशोधन अधिनियम, 2006 के माध्यम से प्रोजेक्ट टाइगर नामक केंद्र प्रायोजित योजना के तहत घोषित किया गया है। किसी छात्र को टाईगर रिजर्व घोषित करने के लिए राज्य सरकारें, इस संबंध में अपने प्रस्ताव राष्ट्रीय बाघ समर्थन प्राधिकरण को प्रस्ताव भेज सकती हैं।
निष्कर्ष:
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